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Thursday 14 September 2017

गर्मी के दिनों ठंडक पाने के लिए

गर्मी के दिनों ठंडक पाने के लिए
सौंफ का चूर्ण दूध में मिलाकर पीने से शरीर में जलन नहीं होती है।
२ – सूखा धनिया व चावल बराबर मात्रा में लेकर पानी में भिगोकर अच्‍छी तरह फुला लें और सुबह पीसकर गर्म करके पिएं।
३ – यदि गर्मी से सिर चकरा रहा हो और जी घबरा रहा हो तो आंवले का शर्बत पीने से फौरन राहत मिलती है।
४ – जिगर में गर्मी बढ़ जाने पर जलन होने लगती है। अधिक प्‍यास लगने के साथ ही पेशाब का रंग भी लाल हो जाता है। कब्‍ज की शिकायत हो जाती है। इन हालात में छाज में थोड़ा सा नमक डालकर दिन में तीन – चार बार पीने से आराम मिलता है।
५ – दिन के समय सेब, आंवला या किसी फल से बना मुरब्‍बा खाने से जलन नहीं होती है।
६ – सीने में जलन होने पर सुबह, दोपहर व शाम को आठ दस पके हुए फल खाएं यदि फल ताजें न हों तो पांच से छह ग्राम सूखे फलों का चूर्ण ताजे पानी के साथ फांक लें। आपको तुरंत आराम मिलेगा।
७ – कच्‍चे प्‍याज का रस शरीर में लगाने पर शरीर को ठंडक मिलती है।
८ – पुदीना या धनिया पीस कर हाथ पैरों पर लगाने से जलन दूर हो जाती है।
९ – पैरों पर मेंहदी लगाने से शरीर की गर्मी दूर हो जाती है।
१० – लौकी के गूदे को कस कर हाथ पैरों पर रगड़ने से जलन कम होती है।
११ – पका पपीता पीस का हाथ पैरों पर लगाने से गर्मी से राहत मिलती है।
१२ – हाथ पैरों पर बकरी दूध मलने से भी गर्मी में आराम मिलता है।
१३ – गूलर के रस में शहद मिलाकर चाटने से हाथ, पैर, कमर व आंखों की जलन शांत होती है।
१४ – पकी इमली के गूदे को हाथ पैरों पर मलने से गर्मी से उत्‍पन्‍न जलन शांत हो जाती है।
१५ – सत्‍तू (भुने चनों से बना) खाने से शरीर की जलन शांत होती है और आप गर्मी से भी बचे रहते हैं।
१६ – आलू बुखारा चूसने से गले की खुश्‍की मिटती है।

१७ – गर्मी के दिनों में अक्‍सर गला सूखता है। इसके लिए छुहारे की गुठली मुंह में रखें आपका गला खुश्‍क नहीं होगा।

आम रोग और घरेलू औषधियां

आम रोग और घरेलू औषधियां
हम सभी को अक्‍सर छोटी बड़ी बीमारियों का सामना करना पड़ता है। इन बीमारियों के इलाज के लिए कई तरह की चिकित्‍सा पद्धतियां मौजूद हैं। हम इन बीमारियों का उपचार एलौपैथी, होम्‍योपैथी, यूनानी एवं आयुर्वेदिक माध्‍यम से करते हैं। अंग्रेजी दवाओं के कुछ साइड इफेक्‍ट भी होते हैं। इसलिए हमें इनका सेवन करते समय सावधान रहना चाहिए। जब तक आवश्‍यक न हो अंग्रेजी दवाओं का सेवन नहीं करना चाहिए तथा कम से कम और चिकित्‍सीय परामर्श से ही करना चाहिए।

बीमारियां कभी भी और किसी को भी हो सकती हैं। कभी कभी घर पर दवाएं मौजूद होती हैं तो कभी नहीं। रात के समय डाक्‍टर भी आसानी से उपलब्‍ध नहीं होते हैं। ऐसे में हमें अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। ऐसे समय में दादी नानी के नुस्‍खे बड़े काम आते हैं। इन नुस्‍खों को होम रेमेडीज कहते हैं। हममें से कोई भी होम रेमेडीज की पूरी जानकारी नहीं रखता है।

असल में दादी नानी के यह नुस्‍खे हमारे रसोई घर में हमेशा हमारे साथ मौजूद रहते हैं। जानकारी होने पर इनका इस्‍तेमाल करके किसी भी बीमारी पर आसानी से काबू पाया जा सकता है।

होम रेमेडीज पर हिंदी भाषा में अभी तक कोई भी अच्‍छी वेबसाइट हमारे पास उपलब्‍ध नहीं है। इसी बात को ध्‍यान में रखते हुए मैं यह ब्‍लाग आप सबके बीच प्रस्‍तुत करने जा रही हूं। आशा करती हूं कि आप सभी इस ब्‍लाग को पढ़कर लाभ उठाएंगें।

Wednesday 6 September 2017

लू लगने पर इन उपायों को अपना कर उपचार करें।

लू लगने पर इन उपायों को अपना कर उपचार करें
१ – इमली की गूदे को हाथ पैरों के तलवों पर मलने से लू का असर खत्‍म हो जाता है।
२ – छह – सात कच्‍चे आम (अमियां) उबाल लें या राख में सेंक कर भून लें। फिर इन्‍हें कुछ देर ठंडे पानी में रखें। ठंडा हो जाने पर छिलका उतार कर जितने ग्‍लास पना बनाना हो उतना पानी लें। फिर उबले आमों का गूदा पानी में हाथों से निकालकर पानी में अच्‍छी तरह घोल लें। तत्‍पश्‍चात थोड़ा सा गुड़, धनियां, नमक व काली मिर्च डालकर पने को तैयार करें। यह पना दिन में तीन से चार बार पीने से रोगी को तुरंत आराम मिल जाता है।
३ – लू लगने पर प्‍याज के रस से कनपटियों और छाती पर मालिश करें। जल्‍दी आराम मिलेगा।
४ – आलू बुखारे को गर्म पानी में डाल कर रखें और उसी पानी में मसल लें। इसे भी आम के पने की तरह बना कर पीने से लू लगने से होने वाली जलन और घबराहट खत्‍म हो जाती है।
५ – धनियां के पानी में चीनी मिला कर पीने से लू का असर कम होता है।
६ – लू लगने से रोगी को तेज बुखार चढ़ता है। इसके लिए इमली को उबाल कर उसे छान लें और शर्बत की तरह पियें। इमली को उबालकर उस पानी में तौलिया भिगो कर उसके छींटे मारने से रोगी को लू में बहुत आराम मिलता है।
७ – भुने हुए प्‍याज को पीस कर उसमें जीरे का चूर्ण और मिश्री मिलाकर खाने से लू से राहत मिलती है।
८ – इमली को भिगो कर उसका पानी पीने से लू अपना असर नहीं दिखा पाती है।
९ – तुलसी के पत्‍तों का रस चीनी में मिलाकर पीने से लू नहीं लगती है।

१० – रोजाना खाने के साथ कच्‍चा प्‍याज खाने से लू नहीं लगती है। इसलिए जमकर प्‍याज खाइए और लू को दूर भगाइए।

मुंह में छाले हो जाने पर क्‍या करें..?

मुंह में छाले हो जाने पर क्‍या करें..?
१ – गाय के दूध से बने दही में पका केला मिला कर खाने से छाले ठीक हो जाते हैं।
२ – ग्लिसरीन में भुनी फिटकरी मिलाकर रूई की सहायता से छालों पर लगाएं और कुछ देर लार टपकने दें। ऐसा करने से छाले ठीक होगें।
३ – सुबह उठने के साथ और रात को सोते समय छाछ से कुल्‍ला करें। छालों में आराम मिलेगा।
४ – हल्‍दी को पानी में डालकर कुछ देर रखें। फिर इस पानी को छान कर कुल्‍ला करने से मुंह के छाले ठीक हो जाते हैं।
५ – नीम की छाल को जलाकर सफेद कत्‍थे के साथ पीस कर छालों पर लगाने से छाले ठीक हो जाते हैं।
६ – जामुन के कोमल पत्‍तों को पीस कर पानी में मिला कर कुल्‍ला करने से छालों में आराम मिलता है।
७ – कत्‍था पानी में घोल कर गाढ़ा गाढ़ा छालों पर लगाएं। आराम मिलेगा।
८ – पीपल की छाल और पत्‍तों को पीस कर छालों पर लगाने से छाले खत्‍म हो जाते हैं।
९ – चमेली के पत्‍तों को चबा कर थूकने से छालों में आराम मिलता है।
१० – आंवले का रस निकालकर छालों पर मुलायम हाथों से लगाएं और लार बहने दें। तीन चार बार इस्‍तेमाल के बाद छाले ठीक हो जाते हैं।
११ – इलायची के दानों को पीस कर चूर्ण बना लें, भुनी हुई फिटकरी के साथ मिलाकर पेस्‍ट बनाकर छालों पर लगाएं और लार टपकाएं। आपको आराम मिलेगा।

१२ – अमरूद की दो तीन छोटी पत्तियों को कत्‍था मिला कर खूब चबाएं। इससे पुराने से पुराने छाले दूर हो जाते हैं।

पायरिया दूर भगाएं

इन उपायों को अपनाकर पायरिया दूर भगाएं
१ – नींबू का रस मसूड़ों पर मलने से दांतों से निकलने वाला खून बंद हो जाता है।
२ – सुबह ब्रुश करने के बाद राई (सरसों) का तेल और नमक मिलाकर उंगली से दांतों व मसूड़ों की मालिश करनी चाहिए।
३ – बरगद, गूलर या पीपल में से किसी एक की बाहरी त्‍वचा (छाल) या उसकी कोमल डंठल लाकर उसका काढ़ा बना कर उससे गरारा करें। पायरिया में लाभ होगा।
४ – तिल के तेल को मुंह में दस-पन्‍द्रह मिनट तक रखकर गरारा करें। ऐसा करने पायरिया में लाभ तो होता ही है साथ ही हिल रहे दांत भी मजबूत हो जाते हैं।
५ – सरसों के तेल में नमक मिलाकर मलने से दांतों से निकलने वाला खून बंद हो जाता है।

६ – बबूल के कोयले के पाऊडर में नमक मिला कर मंजन करना चाहिए। पायरिया में लाभ होता है।