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Tuesday 29 August 2017

यदि दांतों में दर्द हो तो

यदि दांतों में दर्द हो तो
१ – यदि दांत में कीड़ा लगा हो, तो तुलसी के रस में कपूर मिला कर उसमें भीगी हुई रूई का फाहा उस दांत पर रखें। जहां कीड़ा लगा हो। दांत दर्द तुरंत कम हो जाएगा।
२ – हल्‍दी की गांठ भूनकर दांत में दबाने से दांत दर्द ठीक हो जाता है।
३ – दांतों में दर्द की टीस उठने पर तीन ग्राम सोंठ पीस कर गर्म पानी के साथ फांकने से दर्द में आराम मिलेगा।
४ – हींग या लौंग पीस कर मलने से दांद दर्द में आराम मिलता है।
५ – ७० ग्राम लौकी का गूदा और १५ ग्राम लहसुन दोनों को कूट कर एक लीटर पानी में पकाएं। जब आधा पानी शेष रह जाए, तो हल्‍का ठंडा करके कुल्‍ला करें। दांत का दर्द फौरन ठीक हो जाएगा।
६ – लहसुन पर नमक छिड़क कर चबाने से दांत दर्द में आराम मिलता है।

७ – पिसा हुआ तम्‍बाकू मलने से भी दांत दर्द में आराम मिलता है।

यदि दांतों में कीड़ा लगा हो तो

यदि दांतों में कीड़ा लगा हो तो
१ – प्‍याज के बीज चिलम में भर कर धूम्रपान करने से आराम मिलता है।
२ – प्‍याज़ बारीक काट कर तेल में मिलाकर एक कटोरे में भर कर आग पर रखें। फिर उस पर छेद वाली मटकी उल्‍टी रखें। मटकी के छेद में पाइप डालकर धुआं मुंह में लेने से दांतों की कीड़े मर जाते हैं।
३ – हींग को पानी में उबाल कर उस पानी में कुल्‍ला करने और दांत के खोखले भाग में हींग भरने से दांत के कीड़े मर जाते हैं।

४ – जायफल के तेल में भीगा रूई का फाहा दांत में रखने से दंतक्षय रूक जाता है और कीड़े मर जाते हैं।

Wednesday 23 August 2017

मसूड़ों की सूजन दूर करने के उपाय

मसूड़ों की सूजन दूर करने के उपाय

१ – बबूल की छाल का काढ़ा बना कर कुल्‍ला करने से सूजन में आराम मिलता है।
२ – मेंहदी के पत्‍तों (बाजार में मिलने वाली मेंहदी का कतई प्रयोग न करें) को पानी में उबाल कर उस पानी से सुबह शाम कुल्‍ला करने से मसूड़ों में आराम मिलता है।
३ – अरंडी के तेल में कपूर मिला कर प्रतिदिन सुबह – शाम मसूड़ों की मालिश करें।
४ – अजवायन को तवे पर भून कर पीस लें। फिर इसमें दो – तीन बूंद राई का तेल मिला कर हल्‍का हल्‍का मसूड़ों पर मलें। इससे मसूड़ों को आराम तो मिलेगा ही। साथ ही दांतों के अन्‍य रोग भी दूर हो जाएंगें।
५ – अदरक और नमक पीस कर अच्‍छी तरह मिला लें। इसे मसूड़ों पर धीरे धीरे मलें। आपको लाभ होगा।
६ – ताजे पानी में नींबू का रस डालकर कुल्‍ला करने से मसूड़ों की सूजन व बदबू दूर होती है।

७ – मसूड़ों पर फिटकरी का चूर्ण मलने से मसूड़ों की बीमारियां दूर हो जाती हैं।

यदि गला बैठ जाए

यदि गला बैठ जाए तो
कभी कभी क्‍या होता है कि हमारा गला बैठ जाता है और हमारी आवाज बड़ी ही अजीब सी हो जाती है। सामने वाला आवाज सुनते ही जोरदार हंसी के साथ अपनी प्रतिक्रिया देता है और हम झेंपने लगते हैं। इस बीमारी के लिए हमारी रसोई में बहुत से उपचार मौजूद हैं। तो फिर चिंता किस बात की।

१ – हल्‍दी और गुड़ को मिलाकर गुनगुने पानी के साथ निगल जाएं। आराम मिलेगा।
२ – शलजम को पानी में उबाल कर पीने से गले खराश मिट जाती है।
३ – मुलैठी और मिश्री को मुंह में रखकर दिन चार – पांच बार चबाएं, आराम मिलेगा।
४ – अजवायन और शक्‍कर उबालकर पीने से गला खुल जाता है।
५ – सोंठ, दालचीनी, पुदीना और हरी चाय का काढ़ा बनाकर पीने से सर्दी से बैठा गला साफ हो जाएगा और कफ भी बाहर आने लगेगा।
६ – एक ग्‍लास गर्म पानी में डेढ़ चम्‍मच शहद डालकर गरारा करने से बैठा गला ठीक हो जाता है।
७ – प्‍याज के रस में थोड़ा सा शहद मिलाकर गुनगुने पानी के साथ लें। गले में आराम मिलेगा।
८ – गुनगुने पानी में नींबू का रस डालकर गरारा करें।
९ – गर्म पानी में लहसुन का रस डालकर गरारा करें। आराम मिलेगा।

१० – दस – बारह तुलसी के पत्‍ते चबाने से आधे घंटे में ही आवाज साफ हो जाती है।

दांतों का हिलना

दांतों का हिलना
दांतों का हिलना एक गंभीर बीमारी है। जिस व्‍यक्ति के दांत हिलना शुरू हो जाते हैं। उसका मानसिक दबाब भी बढ़ जाता है। व्‍यक्ति हमेशा यही सोचता रहता है, कि दांत हिलना शुरू हो गए। अब उखड़ कर गिर जाएंगें और वह हमेशा के लिए पोपला हो जाएगा। न वह पहले की तरह लजीज पकवान खा पाएगा और न ही काजू, मूंगफली और बादाम जैसी कोई सख्‍त
चीज। पर परेशान होने की जरूरत नहीं है। उम्र के साथ तो दांत कमजोर तो होते ही हैं। यदि दांत लगातार हिल रहे हों, तो थोड़ी सावधानी बरतने की जरूरत है और नीचे दिए गए उपायों को अजमा कर आप अपने दांत मजबूत कर सकते हैं।

१ – एक कप गुनगुने दूध में हल्‍दी डाल कर सोने से पहले पिएं। इससे दांत मजबूत होंगें।
२ – तुलसी और मूली के पत्‍तों को चबाने से दांतों को आराम मिलता है।
३ – खाने का सोडा और हल्‍दी मिलाकर मंजन करने से भी दांतों का हिलना बंद हो जाता है।
४ – एक प्‍याज को उबाल कर मैश कर लें। फिर थोड़ा मक्‍खन, काली मिर्च व नमक मिला कर खाएं।
५ – सेंधा नमक और राई का तेल दांतों पर सुबह व रात को खाना खाने के बाद मलने से दांतों का हिलना बंद हो जाता है।
६ – दिन में तीन – चार बार पान का पत्‍ता और मुलैठी चबाएं। दांत मजबूत होंगें।

७ – दस ग्राम लौंग व एक ग्राम सेंधा नमक को पीस कर दांतों पर मलने से दांतों का हिलना बंद हो जाता है।

Thursday 17 August 2017

यदि मुंह से बदबू आ रही हो तो...

यदि मुंह से बदबू आ रही हो तो...

मुंह से बदबू का आना बहुत बुरा माना जाता है। कोई भी ऐसे व्‍यक्ति के पास बैठना नहीं चाहता, जिसके मुंह से बदबू आ रही हो। यह एक ऐसी समस्‍या है, जिससे बने बनाए काम बिगड़ जाते हैं। पर चिंता करने की बात नहीं है। नीचे कुछ उपाय दिए गए है। इन्‍हें अपनाए और बदबू दूर भगाएं।

१ – जामुन के हरे पत्‍ते या तुलसी के हरे पत्‍ते मुंह में रखकर चबाने से मुंह की दुर्गन्‍ध दूर हो जाती है।
२ – मुंह से आने वाली बदबू को सूखा धनिया चबाकर भी दूर किया जा सकता है।
३ – मुंह और दांतों की सफाई का पूरा ध्‍यान रखिए और नीम या बबूल की दातुन करना लाभदायक होता है।
४ – एक ग्‍लास कुनकुने पानी में एक एक टेबल स्‍पून नींबू का रस मिलाकर कुल्‍ला करने से मुंह की बदबू दूर हो जाती है।
५ – खाने के बाद सौंफ चबाने से भी मुख की दुर्गन्‍ध दूर होती है।
६ – मुलैठी या छोटी इलायची चबाने से भी बदबू दूर हो जाती है।

७ – मुख की दुर्गन्‍ध या छाले दूर करने के लिए अनार की छाल पानी में उबाल कर उस पानी को थोड़ी देर मुंह में रखें और गरारे करें।

गले में दर्द व गले का सूखना

गले में दर्द व गले का सूखना

१ – पालक के पत्‍तों का रस निकाल कर उससे कुल्‍ला करने से गले की जलन व दर्द शांत हो जाता है।
२ – आम के पत्‍तों को जलाकर उसका धुआं मुंह से लें। अवश्‍य आराम मिलेगा।
३ – लौकी का रस निकाल कर उसमें थोड़ा शहद और शक्‍कर मिलाकर पीने से गले की पीड़ा से राहत मिलती है।
४ – फालसे की छाल को पानी में उबाल कर उससे कुल्‍ला करने से गले के सभी विकार दूर हो जाते हैं।
५ – प्‍याज को कुचल कर उसमें जीरा और सेंधा नमक मिलाकर खाने से गले की पीड़ा और जलन में आराम मिलता है।
६ – आलू बुखारा चूसने से गले की खुश्‍की मिट जाती है।
७ – छुहारे की गुठली मुंह में रखें, इससे गला सूखना बंद हो जाता है।
८ – शहतूत के शर्बत को पीने से व शहतूत के फल खाने से तीन – चार दिन में ही गले का संक्रमण दूर हो जाता है। दर्द में भी आराम मिलता है।

९ – तेज पत्‍ते को पानी में उबालें और उससे गरारे करें। गले में लाभ होगा।

टॉन्सिल, कंठमाला (गिल्‍टी)

टॉन्सिल, कंठमाला (गिल्‍टी)

१ – सूखे अंजीर को पानी में उबाल कर उसे अच्‍छी तरह मसलें। फिर इसका लेप करें। इससे गले के भीतर की सूजन दूर हो जाती है।
२ – सरसों, सहिजन के बीज, सन के बीज, अलसी, जौ, व मूली के बीज आदि को समान मात्रा में लेकर पीस लें। फिर लेप बनाकर टॉन्सिल के ऊपर लगाएं। आपको लाभ होगा।
३ – जलकुंभी की भस्‍म को सरसों के तेल में मिला कर लेप करने से पुराने से पुराने टॉन्सिल की सूजन ठीक हो जाती है।
४ – केलों के छिलके को निकाल कर गले के ऊपर बांधने से फायदा होता है।
५ – प्‍याज को घी में भूनकर पुल्टिस बांधने से दो – तीन दिन में ही कंठमाला ठीक हो जाता है।
६ – तीन – चार दिन की बासी खटटी छाछ में आक की जड़ पीस कर लेप करें। इससे दूषित रक्‍त व कफ पिघल कर निकल जाता है और गिल्टियां भी ठीक हो जाती हैं।
७ – मीठे मटठे में सोंठ का चूर्ण मिलाकर पीने से गिल्टियां ठीक हो जाती हैं।
८ – छाछ में काली मिर्च पीस कर लेप करने से गिल्टियों में लाभ होता है।

हिचकी आने पर आप इन उपायों को अपना सकते हैं

१ – १० ग्राम तुलसी दल, १० ग्राम काली मिर्च और २ ग्राम छोटी इलायची को एक साथ पीस कर चूर्णं बनाएं। इसे चूर्णं को ३ – ४ ग्राम की मात्रा में शहद के साथ लेने से हिचकियों में आराम मिलेगा।
२ – एक ग्‍लास गुनगुना पानी पीने से हिचकी दूर होती हैं।
३ – सोंठ को पानी में घिस कर सूंघने से हिचकी तुरंत बंद हो जाती है।
४ – अदरक का रस, काली मिर्च और नींबू का रस मिला कर चाटने से हिचकी बंद हो जाती हैं।

५ – मूली के तीन – चार पत्‍ते खाने से भी हिचकियों में फाएदा होता है।

खांसी से छुटकारा कैसे पाएं

खांसी से छुटकारा कैसे पाएं..?

खांसी कोई साधारण रोग नहीं है। यह साधारण लगता जरूर है। पर है नहीं। यदि हमें हल्‍की सी भी खांसी हो, तो हमें हल्‍के में नहीं लेना चाहिए। हल्‍की फुल्‍की खांसी टीबी जैसे भयानक रोग में कब बदल जाती है। हमें पता ही नहीं चलता। वैसे खांसी के लिए ऐलोपैथी व होम्‍योपैथी आदि में सफल इलाज मौजूद हैं। साथ ही यदि खांसी की शुरूआत ही हुई है तो हम घरेलू नुस्‍खों को भी अजमाकर खांसी को दूर भगा सकते हैं।

१ – अनार की सूखी छाल आधा तोला बारीक कूटकर छान लें। फिर उसमें थोड़ा सा कपूर मिला लें। जब चूर्ण तैयार हो जाए तो दिन में २ बार पानी के साथ मिलाकर पीने से खतरनाक से खतरनाक खांसी भी दूर हो जाती है।
२ – एक से दो ग्राम मुलैठी का चूर्ण पांच से दस ग्राम तुलसी की पत्तियों के रस में मिलाकर शहद के साथ चाटने से खांसी में आराम मिलता है।
३ – हल्‍दी के टुकड़े को घी में सेंक कर रात को सोते समय मुंह में रखने से खांसी और कफ में फाएदा होता है।
४ – चार – पांच लौंग भूनकर तुलसी के पत्‍तों के साथ लेने से सभी प्रकार की खांसी में लाभ होता है।

५ – २ ग्राम काली मिर्च पाउडर और डेढ़ ग्राम मिश्री का चूर्ण मिलाकर दिन में तीन – चार बार १ – १ ग्राम शहद के साथ चाटने से बहुत फाएदा होता है।

पेट के रोग

पेट के रोग
पेट की बीमारी सौ बीमारियों का कारण बनती है। कहते हैं न कि यदि आपका पेट ठीक है तो सब कुछ ठीक है। पेट की अनेक बीमारियां हैं। जिनके इलाज भी अलग – अलग हैं। ऐसी ही कुछ बीमारियों व उनके इलाज नीचे दिए जा रहे हैं। जिन्‍हें पढ़ कर आप लाभ उठा सकते हैं।

कब्‍ज
१ – खाली पेट एक ग्‍लास पानी में एक नींबू का रस व एक ग्राम सेंधा नमक मिलाकर कुछ दिन सेवन करें। इससे पुराने से पुराना कब्‍ज भी दूर हो जाएगा।
२ – सुबह उठ कर खाली पेट २ सेब खाने से भी कब्‍ज की शिकायत दूर हो जाती है।
३ – रात को सोने से पहले एक चम्‍मच शहद, एक ग्‍लास ताजे पानी में मिलाकर पिएं। आपको कब्‍ज नहीं होगा।
४ – सोने से पहले गुनगुने पानी के साथ ३ ग्राम सौंफ का चूर्ण लेने से कब्‍ज में फाएदा होता है।
५ – २ बड़े पीले संतरों का रस सुबह नाश्‍ते से पहले पिएं आपको लाभ होगा।
६ – हरड़ का चूर्ण रात को फांक कर पिएं, इससे सुबह उठते ही पेट साफ हो जाएगा।
७ – सुबह उठ कर बिना कुछ खाए ४ – ५ मुनक्‍का खाने से भी कब्‍ज दूर होता है।

यदि दस्‍त आएं तो....

१ – कच्‍चे केले को उबाल कर छील लें। फिर एक बर्तन में थोड़ा सा घी गर्म करें और २ – ३ लौंग की छौंक देकर उसमें केले डालें। इसके बाद धनिया, हल्‍दी, सेंधा नमक मिले हुए दही को इसमें डाल दें। फिर थोड़ा पानी डाल कर पकाएं। इस मिश्रण को दस्‍तों में खाने से बहुत लाभ होता है।
२ – चुटकी भर सोंठ एक चम्‍मच शहद के साथ लेने से दस्‍तों में आराम मिलता है।
३ – सुखाए हुए संतरों के छिलके और मुनक्‍के के सूखे बीज समान मात्रा में लेकर चूर्ण बनाएं और इस मिश्रण को पीने से दस्‍त बंद हो जाते हैं।
४ – गर्मी के कारण दस्‍त हो रहे हों तो आठ – दस सिंघाड़े खा कर मटठा पिएं। इससे आराम होगा।
५ – खूनी दस्‍त होने पर गाय के दूध का मक्‍खन १० ग्राम खाकर ऊपर से छाछ पीनी चाहिए।
६ – सौंफ और जीरे को बराबर मात्रा में लेकर भून कर पीस लें। आधा आधा चम्‍मच चूर्णं पानी के साथ लेने से दस्‍त में फाएदा होता है।

डिसेंट्री की दशा में...

१ – पके नींबू को गर्म करके उसका रस निकाल कर इसमें सेंधा नमक व शक्‍कर मिलाकर पीने से आराम मिलता है।
२ – दो – चार ग्राम सोंठ का चूर्णं गर्म पानी के साथ लें या‍ फिर सोंठ का क्‍वाथ बनाकर उसमे एक चम्‍मच अरंड का तेल डाल कर पीने से आराम मिलता है।
३ – २ ग्राम मेथी का चूर्ण दही के साथ मिला कर दिन में तीन चार बार लेने से बहुत आराम मिलता है।
४ – सुखाए हुए संतरों के छिलके और सूखे मुनक्‍के के बीज बराबर मात्रा में घोंट कर पीने से तीन चार दिन में ही डिसेंट्री यानि पेचिश में आराम मिल जाता है।
५ – दो टेबलस्‍पून धनिया उबालकर सेवन करने से डिसेंट्री में आराम मिलता है।
६ – गाय का दूध और पानी बराबर मात्रा में लेकर उबालें। जब पानी जल जाए और दूध बच जाए तो उसे उतार कर कुनकुना ही पिएं। इसे दिन में तीन चार बार पीने से पेचिश ठीक हो जाएगी।
७ – ताजे छाछ में बेल का गूदा मिला कर पीने से खूनी पेचिश में आराम मिलता है।

पेट दर्द होने पर

१ – मेथी का चूर्णं दही में मिला कर खाने से पेट की मरोड़ का शमन होता है। आप मेथी की सब्‍जी के रस में काले अंगूर मिला कर पीने से भी मरोड़ दूर हो जाती है।
२ – हींग और काला नमक डाल कर गर्म किया हुआ तेल पेट पर लगाने से आराम मिलता है।
३ – एक ग्राम सेंधा नमक और २ ग्राम अजमोद का चूर्णं खाने से पेटदर्द ठीक हो जाता है।
४ – ३ ग्राम इमली की कोमल पत्तियों को सिल पर पीस कर उसमें १ ग्राम सेंधा नमक मिला कर पीने से पेट दर्द में राहत मिलती है।
५ – मूली के रस में नींबू का रस मिला कर पीने से भोजन के बाद पेट में होने वाले दर्द या गैस में राहत मिलती है।
६ – २ – २ ग्राम जामुन और आम की गुठलियों का चूर्णं छाछ के साथ दिन में दो – तीन बार लेने से पेटदर्द दूर हो जाता है।

यदि जी मिचलाए

१ – ५० ग्राम चावल को एक ग्‍लास पानी में एक घंटे तक भिगोकर रखिए। उसके बाद पानी को निथार कर पी लीजिए आपको आराम मिलेगा।
२ – नींबू को काट कर उसकी फांको पर शक्‍कर छिड़क कर चूसने से मिचली से छुटकारा मिलता है।
३ – इलायची के दानों का एक से दो ग्राम चूर्णं या फिर इलायची के तेल की ४ – ५ बूंदे अनार के रस में मिलाकर पीने से मिचली में आराम मिलता है।
४ – जायफल को चावल के धोवन में घिस कर पीने से जी मिचलाने की बीमारी में लाभ होता है।

अपच की दशा में

१ – मुनक्‍का, नमक व काली मिर्च सबको मिलाकर गर्म करके खाने से भूख बढ़ती है।
२ – कब्‍ज के कारण अपच की शिकायत हो, तो २ चम्‍मच ईसबगोल लेकर पानी में मिला कर पिएं।
३ – केवल गर्म पानी ३ – ३ घंटे पर पीने से अपच में राहत मिलती है।
४ – २ लौंग, २ काली मिर्च, आधा चम्‍मच धनिया, आधा चम्‍मच जीरा, चुटकी भर नमक व हल्‍दी मिला कर ४ कप पानी में डाल कर उबालें। २ कप बचने पर उस काढ़े को आधे कप की मात्रा में दिन में चार बार पीएं।
५ – अनार दाने का चूर्णं आधा टेबलस्‍पून दिन में तीन चार बार खाने से भी अपच दूर होती है।

यदि पेट में भारीपन हो तो...

१ – बैंगन को अंगारों पर सेंक कर उसमें सज्‍जीखार मिलाकर पेट पर बांधने से पेट के भारीपन में आराम मिलता है।
२ – द्राक्ष और सौंफ २० – २० ग्राम लेकर आधा लीटर पानी में भिगोकर रख दीजिए। सुबह उसे मसल कर और छान कर तथा उसमें एक तोला शक्‍कर मिलाकर कुछ दिनों तक पीने से पेट का भारीपन ठीक हो जाता है।

उल्‍टी आने पर

१ – अदरक के दस ग्राम रस और इतनी मात्रा में प्‍याज का रस मिला कर पीने से उल्‍टी आना बंद हो जाती हैं।
२ – शहद में तुलसी के रस को मिला कर एक चम्‍मच पीने से भी उल्‍टी कंट्रोल हो जाएगी।
३ – अजवायन तथा लौंग के फूलों को थोड़े पानी में पीस कर शहद के साथ चाटने से उल्टियां बंद हो जाती हैं।
४ – ६ ग्राम पुदीना, २ ग्राम सेंधा नमक पीस कर शीतल जल में घोल कर पीने से वमन में बहुत लाभ होता है।
५ – एक नींबू का रस और एक चम्‍मच चीनी को २ चम्‍मच पानी में मिलाकर एक – एक घंटे में पीने से उल्‍टी रूक जाएगी।
६ – नारंगी के छिलकों को सुखा कर पीस कर शहद के साथ चाटने से उल्‍टी बंद हो जाती हैं।
७ – बिजौरा नींबू को बीच से काट कर उस पर काली मिर्च का चूर्ण और सेंधा नमक डाल कर चूसने से उल्टियां बंद हो जाती हैं।

अफारा उठने पर क्‍या करें...

१ – एक ग्‍लास गर्म दूध में २ चम्‍मच अरंडी का तेल डाल कर पीएं आपको आराम मिलेगा।
२ – लहसुन और अदरक के रस को मिलाकर कुनकुने पानी के साथ पीजिए, पेट का अफारा जल्‍दी ही शांत हो जाएगा।
३ – पिसी हुई हल्‍दी और नमक कुनकुने पानी से लें। आपको फौरन लाभ होगा।
४ – पानी में खाने का सोडा, नींबू और नमक मिलाकर पीएं। अफारा शांत होगा।

एसिडिटी व गैस होने पर

१ – एक चम्‍मच अजवायन में एक चौथाई चम्‍मच नींबू का रस मिलाकर चाटें। आपकी गैस जल्‍दी ही शांत हो जाएगी।
२ – सुबह २ केले खाकर एक कप दूध पीने से कुछ ही समय में एसिडिटी से राहत मिलती है।
३ –पेट में गैस होने पर शुद्ध हींग पीस कर उसे रूई के फाहे पर रखकर नाभि पर रखें। इससे गैस बाहर निकल जाएगी व दर्द में भी आराम मिलेगा।
४ – चोकर सहित आटे की रोटी खाने से भी लाभ होता है।
५ – एसिडिटी से छुटकारा पाने के लिए अदरक के रस में थोड़ा सा सेंधा नमक और भुना हुआ जीरा डाल कर सेवन करें और ऊपर से आधा ग्‍लास छाछ पिएं। आपको आराम मिलेगा।
६ – खाना खाने के बाद दूध का साथ २ बड़े चम्‍मच ईसबगोल लेने से एसिडिटी में लाभ होता है।
७ – संतरे के रस में थोड़ा सा भुना जीरा और पिसा हुआ सेंधा नमक मिलाकर पीने से गैस में आराम मिलता है।
८ – दिन ३ – ४ बार अदरक के रस में पुदीने का रस बराबर मात्रा में मिलाकर पीने से भी बहुत लाभ होता है।
९ – अदरक का रस और शहद बराबर मात्रा में लेने से गैस में लाभ होता है।

पेट में कीड़े

१ – पीपल के पंचांग के चूर्णं में गुड़ मिलाएं और सौंफ के अर्क के साथ सुबह शाम ५ – ५ ग्राम मात्रा में लें। तीन चार दिनों में ही कीड़े खत्‍म हो जाएंगें।
२ – सहिजन का क्वाथ शहद में मिलाकर दिन में २ – ३ बार पीने से सूक्ष्‍म से सूक्ष्‍म कीड़े भी निकल जाते हैं।
३ – सोंठ और बायबिडंग के चूर्ण को शहद के साथ सेवन करने से पेट के कीड़े खत्‍म हो जाते हैं।
४ – मूली के रस में थोड़ा नमक मिलाकर सुबह शाम दिन में दो बार पीने से सारे कीड़े मल के साथ बाहर निकल जाएंगें।

पेट में जलन होने पर

१ – अजवायन को तवे पर भून कर उसके बराबर में सेंधा नमक मिला कर चूर्णं बना लें। ३ ग्राम की मात्रा में यह चूर्णं गर्म पानी के साथ लेने से पेट की जलन शांत हो जाती है।
२ – धनिया और जीरा १० – १० ग्राम लेकर कूट लीजिए। फिर २५० मिली. पानी में रात भर भिगोकर रख दें। सुबह उसे मसल कर व छान कर तथा उसमें शक्‍कर डाल कर कुछ दिन पीने से जलन शांत हो जाती है।
३ – अजवायन और नमक पीस कर उसको थोड़ा फांक लेने पर भी जलन शांत होती है।
४ – धनिया और शक्‍कर का शर्बत बना कर पीने से जलन दूर हो जाती है।

पेट में मरोड़ हो तो....

१ – गाय का दूध और पानी बराबर मात्रा में लेकर उबालिए। जब पानी जल जाए और केवल दूध रह जाए, तो उसे उतार कर थोड़ा ठंडा करके पीने से पेट की मरोड़ में लाभ होता है।
२ – मेथी की भाजी के रस में काली द्राक्ष मिलाकर पीने से मरोड़ का नाश होता है।
३ – ताजे छाछ में बेल का गूदा मिलाकर पीने से मरोड़ में लाभ होता है।
४ – मेथी का चूर्णं दही में मिलाकर खाने से पेट की मरोड़ ठीक होती है।

स्‍टोन


हालांकि यह किडनी से सबंधित बीमारी है। पर इसे भी पेट की बीमारी के तौर पर ही जाना जाता है। इसलिए मैंने भी इसे पेट के रोगों में ही शामिल किया है। नीचे तरीके बताए गए हैं जिनसे स्‍टोन पड़ जाने पर लाभ उठाया जा सकता है।

१ – खीरा, गाजर और जामुन का रस पथरी में बहुत लाभदायक होता है।
२ – आम के ताजे पत्‍ते छाया में सुखाकर बारीक पीस लें व रोजाना बासी पानी के साथ सुबह खाएं। पथरी में आराम मिलेगा।
३ – सेब का रस पीते रहने से स्‍टोन बनना बंद हो जाता है। और पहले से मौजूद स्‍टोन यूरिन के जरिए बाहर निकल जाता है।
४ – ३ – ४ बादाम चबा – चबा कर खाने से एक महीने में ही पथरी में आराम मिलता है।
५ – नारियल का पानी नियमित रूप से पीने से पथरी के दर्द में लाभ होता है।
६ – आंवले का चूर्णं मूली के साथ खाने से मूत्राशय की पथरी में लाभ होता है।
७ – प्‍याज के रस में शक्‍कर डाल कर शर्बत बनाकर दस – बारह दिनों तक पिएं। स्‍टोन कट कर बाहर निकल जाएगा।
८ – ३० मिली. चुकन्‍दर का रस दिन में ४ – ५ बार पीने से स्‍टोन आसानी से गल जाता है।
९ - चौलाई की सब्‍जी रोजाना खाने से पथरी गल कर निकल जाती है।
१० – करेले का रस छाछ के साथ नियमित रूप से पीने से हर प्रकार की पथरी में आराम मिलता है।
११ – गुर्दे की पथरी से राहत पाने के लिए काजू को दूध के साथ पीस कर दिन में तीन – चार पिएं आपको आराम मिलेगा।