इनफर्टिलिटी एक बहुत गंभीर समस्या है। जिसके कारण बहुत से कपल्स की
गोद सूनी ही रह जाती है। आज की भागम भाग वाली जिंदगी तथा खराब किस्म के खान पान
के चलते इनफर्टिलिटी की समस्या आम बात हो गई है।
इनफर्टिलिटी के कारण शादी शुदा जोड़े गर्भ धारण नहीं कर पाते हैं। यदि
इस समस्या के चलते किसी महिला को गर्भ धारण हो भी जाए तो गर्भपात होने की संभावना
ज्यादा रहती है। इसके साथ ही जीवित बच्चों को जन्म न दे पाना भी इनफर्टिलिटी के
अंतर्गत ही आता है।
इनफर्टिलिटी पुरूष व महिलाओं दोनों को ही होती है :
लोगों में भ्रांति है कि इनफर्टिलिटी सिर्फ महिलाओं में ही होती है।
जबकि ऐसा बिल्कुल भी नहीं है। इनफर्टिलिटी की दशा में जहां महिलाओं में अंडों
नहीं बनते हैं, वहीं पुरूषों में स्पर्म की कमी होती है।
यदि जोड़े में से किसी एक को भी इनफर्टिलिटी की समस्या है, तो उन्हें संतान का सुख नहीं मिल सकता है।
इनफर्टिलिटी को कैसे पहचाना जा सकता है?
इनफर्टिलिटी को लक्षणों के आधार पर पहचाना नहीं जा सकता है। इसके लिए
आपको जांचें करवाने की आवश्यक्ता होगी। महिलाओं में गर्भाशय से संबंधित समस्याएं
जैसे फॉलोपियन टयूब्स का बंद होना, एंडोमेट्रियोसिस
तथा फाइब्राइडस आदि का पता आधुनिक जांचों से ही चलता है।
इसके अलावा पुरूषों के स्पर्म की जांच की जाती है। जिससे पता चलता है
कि पुरूष संतान को जन्म देने में सक्षम है या नहीं।
इनफर्टिलिटी का पता लगाने के लिए महिलाओं का अल्ट्रासाउंड तथा खून की
जांच की जाती है। जबकि पुरूषों का सी मेन चेक किया जाता है।
इनफर्टिलिटी के शिकार जोड़े आई वी एफ के जरिए संतान का सुख पा सकते हैं :
जो जोड़े इनफर्टिलिटी के शिकार हैं। उन्हें निराश होने की जरूरत नहीं
है। ऐसे जोड़े आई वी एफ के जरिए संतान का सुख पा सकते हैं।
भारत में कुछ अच्छे अस्पताल मौजूद हैं जहां विश्वस्तरीय आई वी एफ
के द्धारा चिकित्सा की जा रही है।
आई वी एफ की चिकित्सा में करीब 70 प्रतिशत केस दवाईयों से ही ठीक हो
जाते हैं। 30 प्रतिशत केस में आई वी एफ कराना आवश्यक होता है।
हालांकि आई वी एफ के केस में सफलता का प्रतिशत सौ में से सिर्फ 30 प्रतिशत ही होता है। लेकिन निसंतान जोड़ों को एक बार यह जरूर ट्राई करना चाहिए।
No comments:
Post a Comment